Bakhsh Deta Hai Khuda

क्या खूब लिखा है किसी ने...

बख्श देता है खुदा उनको जिनकी किस्मत ख़राब होती है
वो हरगिज नहीं बक्शे जाते जिनकी नियत ख़राब होती है।

न मेरा एक होगा न तेरा लाख होगा
न तारीफ़ तेरी होगी न मजाक मेरा होगा
गरूर न कर इस शरीर का
मेरा भी खाक होगा तेरा भी खाक होगा।

जिन्दगी भर ब्रांडेड ब्रांडेड करने वालो
याद रखना कफ़न का कोई ब्रांड नहीं होता।

कोई रो कर दिल बहलाता है कोई हँस कर दर्द छुपाता है
क्या करामात है कुदरत का
जिन्दा इन्सान पानी में डूब जाता है और मुर्दा तैर के दिखता है।

मौत को देखा तो नहीं पर शायद वो बहुत खूबसूरत होगी
कमबख्त जो भी उससे मिलता है जीना छोड़ देता है।

गजब की एकता देखी लोगों की ज़माने में
जिन्दो को गिराने की और मुर्दों को उठाने की।

जिन्दगी में न जाने कौन सी बात आखिरी होगी
न जाने कौन सी रात आखिरी होगी
मिलते जुलते बातें करते रहो यारों
एक दूसरे से न जाने कौन सी मुलाकात आखिरी होगी।

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