क्यों नहीं समझते
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उनकी मुस्कान हमारी कमजोरी है,
उनसे कुछ कह न पाना हमारी मजबूरी है,
वो क्यों नहीं समझते हमारी ख़ामोशी को,
क्या ख़ामोशी को जुबान देना जरूरी है।
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उनकी मुस्कान हमारी कमजोरी है,
उनसे कुछ कह न पाना हमारी मजबूरी है,
वो क्यों नहीं समझते हमारी ख़ामोशी को,
क्या ख़ामोशी को जुबान देना जरूरी है।