जिन्हें हम भूलना चाहें

जिन्हें हम भूलना चाहें वो अक्सर याद आते हैं,
बुरा हो इस मोहब्बत का वो यूँ क्यूँ याद आते हैं.
भुलाये किस तरह उनको कभी पी थी उन आँखों से,
छलक जाते हैं जब आँसू वो सागर याद आते हैं ।

किसी सुर्ख लब के चमक सी दिये की लौ मचलती थी,
जहाँ की थी कभी पूजा वो मन्दिर आज याद आते हैं.
रहे है शमा तू रोश़न दुआ देता है तुझे ये परवाना,
जिन्हें किस्मत में जलना है वो जल कर याद आते हैं ।

-Advertisement-
-Advertisement-