हिंदी शायरी

Tera Mil Jaana

वो हर रोज गुजरकर तेरी गली से जाना याद आता है,
खुदा ना खास्ता वो तेरा मिल जाना याद आता है।

यूँ ही गुजर गया वो जमाना तुम्हारे इन्तजार का,
आज भी मुझे वो गुजरा जमाना याद आता है।

सुना है कि आज भी हमारी बातें करते है लोग,
आज भी सबको वो अपना अफसाना याद आता है।

तुम भी मुस्कुराती हो बेवजह अक्सर आईने में,
सुना है तुमको भी अपना ये दीवाना याद आता है।

तब तुमसे मिला करते थे छुप छुप के हम,
हर आहट से तेरा वो घबराना याद आता है।

मैं शुक्रगुजार हूँ उन सर्द हवाओं का आज भी,
वो ठंड में हम दोनों का लिपट जाना याद आता है।

आज भी जब मैं मुस्कुराता हूँ कभी आईने में,
मुझे देखकर तेरा वो मुस्कुराना याद आता है।

बस यादें ही रह गयी और कुछ न बचा यहाँ,
कभी तेरा हँसाना कभी सताना याद आता है।

~हिमांकर अजनबी

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Ajab Mausam Hai

Ajab Mausam Hai Shayari

Ajab Mausam Hai Mere Har Kadam Pe Phool Rakhta Hai,
Mohabbat Mein Mohabbat Ka Farishta Saath Chalta Hai,
Main Jab So Jayun Inn Aankhon Pe Apne Honthh Rakh Dena,
Yakeen Aa Jayega Palkon Tale Bhi Dil Dhadkta Hai.

अजब मौसम है, मेरे हर कदम पे फूल रखता है,
मोहब्बत में मोहब्बत का फरिश्ता साथ चलता है,
मैं जब सो जाऊँ, इन आँखों पे अपने होंठ रख देना,
यकीं आ जायेगा, पलकों तले भी दिल धड़कता है।

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Ishq Mein Tere Jaaga

इश्क में तेरे जागा वर्षों और तन्हाई बनी रही,
धूप रही मेरे चौतरफा पर पुरबाई बनी रही।

Ishq Mein Tere Jaaga Varshon Aur Tanhai Bani Rahi,
Dhoop Rahi Mere Chautarfa Par Purabayi Bani Rahi.

Yoon Aankhon Se Baatein

हमें प्यार की भाषा नहीं आती अजनबी,
यूँ आँखों से ये बातें बनाया न कीजिए।

ज़रा नादान हैं हम अभी इश्क में सनम,
यूँ सबक इश्क़ के हमें पढ़ाया न कीजिए।

न रोका कीजिए हमें राहों में इस तरह,
यूँ पकड़ के कलाई हमें सताया न कीजिए।

पत्थरों के हैं मौसम काँच के हैं रास्ते,
ख़्वाबों के इस शहर में ले जाया न कीजिए।

हम तुम्हारे हैं तो हो जाएंगे तुम्हारे,
यूँ मोहब्बत को सरे-आम दिखाया न कीजिए।

न कीजिए तारीफ हर बात में हमारी,
महफ़िलों में ग़ज़लें यूँ गाया न कीजिए।

होता है जिक्र साथ जो तुम्हारा और मेरा
बेहताशा इस कदर मुस्कुराया न कीजिए।

सुना है पूछते सब आपसे नाम हमारा,
गुजारिश है साहिब किसी से बताया न कीजिए।

हम डरते हैं बदनाम हो जाने से जरा,
मगर गुमनाम भी हमें बताया न कीजिए।

हिमांकर अजनबी

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इस दौर में अहसास-ए-वफ़ा

इस दौर में अहसास-ए-वफ़ा Shayari

इस दौर में अहसास-ए-वफ़ा ढूँढने वालो,
सेहरा में कहाँ मिलते हैं दीवार के साए।

Iss Daur Mein Ehsaas-e-wafa Dhoondhne Walo,
Sehara Mein Kahaan Milte Hain Deewar Ke Saaye.

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Sirf Deewaron Ka Na Ho

सिर्फ दीवारों का ना हो घर कोई,
चलो ढूंढते है नया शहर कोई।

फिसलती जाती है रेत पैरों तले,
इम्तहाँ ले रहा है समंदर कोई।

काँटों के साथ भी फूल मुस्कुराते है,
मुझको भी सिखा दे ये हुनर कोई।

लोग अच्छे है फिर भी फासला रखना,
मीठा भी हो सकता है जहर कोई।

परिंदे खुद ही छू लेते हैं आसमाँ,
नहीं देता हैं उन्हें पर कोई।

हो गया हैं आसमाँ कितना खाली,
लगता हैं गिर गया हैं शज़र कोई।

हर्फ़ ज़िन्दगी के लिखना तो इस तरह,
पलटे बिना ही पन्ने पढ़ ले हर कोई।

कब तक बुलाते रहेंगे ये रस्ते मुझे,
ख़त्म क्यों नहीं होता सफर कोई।

~राकेश कुशवाहा

तिश्नग़ी हर लफ़्ज़ में

कुछ रिश्तों को कभी भी नाम न देना तुम,
इन्हें चलने दो ऐसे ही इल्जाम न देना तुम,
ऐसे ही रहने दो तुम तिश्नग़ी हर लफ़्ज़ में,
कि अल्फ़ाज़ों को मेरे अंज़ाम न देना तुम।

Kuchh Rishton Ko Kabhi Naam Na Dena Tum,
Inhein Chalne Do Aise Hi Ilzaam Na Dena Tum,
Aise Hi Rehne Do Tum Tishngi Har Lafz Mein,
Ki Alfaazon Ko Mere Anzaam Na Dena Tum.

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Roya Bhi Na Gaya

दिल पर ज़ख्म कुछ ऐसे मिले,
फूलों पर भी सोया न गया,
दिल तो जलकर राख हो गया,
और आँखों से रोया भी न गया।

Dil Par Zakhm Kuchh Aise Mile,
Phoolon Par Bhi Soya Na Gaya,
Dil To Jalkar Raakh Ho Gaya,
Aur Aankhon Se Roya Bhi Na Gaya.