Allama Iqbal Shayari

इश्क़ कातिल से

इश्क़ कातिल से भी मक़तूल से हमदर्दी भी,
ये बता किस से मोहब्बत की जज़ा माँगेगा,
सजदा खालिक़ को भी इब्लीस से याराना भी,
हशर में किस से अक़ीदत का सिला माँगेगा।

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Ho Teri Aarzoo Poori

Teri Dua Se Kaza Toh Badal Nahi Sakti,
Magar Hai Iss Se Mumkin Ke Tu Badal Jaye,
Teri Dua Hai Ke Ho Teri Aarzoo Poori,
Meri Dua Hai Teri Aarzoo Badal Jaye.

तेरी दुआ से कज़ा तो बदल नहीं सकती,
मगर है इस से यह मुमकिन कि तू बदल जाये,
तेरी दुआ है कि हो तेरी आरज़ू पूरी,
मेरी दुआ है तेरी आरज़ू बदल जाये।

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