गिला शिकवा शायरी

Deedar Ko Bhi Mohtaaj Shayari

Talab Aisi Ke Basa Lein Apni Saanson Mein Tujhe Hum,
Aur Kismat Aisi Ke Deedar Ko Bhi Mohtaaj Hain Hum.

तलब ऐसी कि बसा लें अपनी साँसो में तुझे हम,
और किस्मत ऐसी कि दीदार के भी मोहताज हैं हम ।

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ilzam Tumne Lagaye

Bas Yehi SochKar Koi Safai Nahi Di Humne,
Ke ilzam Jhoothhe Ho Par Lagaye To Tumne Hain.

बस यही सोचकर कोई सफाई नहीं दी हमने,
कि इलज़ाम भले ही झूठे हो पर लगाये तो तुमने है।

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Naakam Mohabbat Mein

Karunga Kya Jo Ho Gaya Naakam Mohabbat Mein,
Mujhe Toh Koi Aur Kaam Bhi Nahi Aata Iske Siwa.

करूँगा क्या जो हो गया नाकाम मोहब्बत में,
मुझे तो कोई और काम भी नहीं आता इसके सिवा।

बोलने की आदत तो

बोलने की आदत तो हमें बचपन से है
हम क्या करे।
आपको शिकायत है हमसे तो
तो हम क्या करे।
हम तो बोलते है हमेशा से इतना प्यारा
आपको पसंद न आये तो
हम क्या क्या करे।

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Meri Chahat Ko Meri

Meri Chahat Ko Meri Halat Ki Taraju Mein Na Taul,
Maine Woh Zakhm Bhi Khaye Hain Jo Meri Kismat Mein Nahi The.

मेरी चाहत को मेरी हालत की तराजू में ना तोल,
मैंने वो ज़ख्म भी खाऐं हैं जो मेरी किस्मत में नहीं थे ।

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Tujhse Zyada Qareeb

Tune Faisale Hi Faasle Badane Wale Kiye The,
Varna Koyi Nahi Tha Tujhse Zyada Qareeb Mere!

तूने फैसले ही फासले, बढाने वाले किये थे...
वरना कोई नहीं था, तुझसे ज्यादा करीब मेरे।

Kyu Wo Aazmate Hain

Us Ko Maloom Hai Ki
Us Bin Hum Toot Jate Hain,
Fir Kyu Wo Aazmate Hain,
Hum Ko Bichhad Bichhad Kar!

उस को मालूम है कि उस बिन हम टूट जाते हैं,
फिर क्यूं वो आज़माते हैं हम को बिछड़ बिछड़ कर।

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Mohabbat Jo Main Na De Saka

Kabhi Jo Mile Fursat To Batana Zaroor...
Wo Kaun Si Mohabbat Thi Jo Main Na De Saka !

कभी जो मिलें फुरसत तो बताना जरूर...
वो कौन सी मौहब्बत थी जो मैं ना दे सका ।