हिंदी उर्दू ग़ज़ल

Bin Barish Barsaatein

क्या पूछते हो कैसी ये बिन बारिस बरसातें है?
मेरी आँखों से जो गिरते है, तेरी ही सौगातें हैं।

सूखेगा अब कैसे मेरे आंखों का ये दरिया,
इस दरिया से होकर ही वो दिल में आते-जाते हैं।

ना लफ्ज नया ना हर्फ कोई ना कोई तराना नूतन,
भूली यादें याद आ जायें, वही गीत पुराने गाते हैं।

अब फासला हैं ही कहाँ तेरे-मेरे दरमियां,
हैं इतने करीब मगर, दूरियां दिखाते हैं।

अब आती नहीं हैं तेरी याद, ऐसी बात नहीं है,
मैं था तेरा आईना कभी, कहने भर की बातें हैं।

~संजीत पाराशर

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Mere Tarqeeb-e-Mohabat Par

ना गौर कर मेरे तरकीब-ए-मुहब्बत पर,
काबिल-ए-गौर हैं मेरी तहरीरें मुहब्बत पर।

यूं तो इश्क दो दिलों के हिफाजत का मसला है,
पर हो रकाबत, चलती है शमशीरें मुहब्बत पर।

ये आग सीने में लगती है, धुआं भी नहीं उठता,
जलते-बुझते रहें है कई सरफिरे मुहब्बत पर।

इश्क ने झिंझोड़े है कई बादशाहों के महल,
पर कायम रहें हैं कई छत शहतीर-ए-मुहब्बत पर।

बंदिशों का दस्तूर तो सदियों पुराना है मगर,
बंधती-टूटती रही है ये जंजीरें मुहब्बत पर।

यूं तो हो गए निकम्मे कितने आदमी काम के,
पर चमके हैं कई गालिब-मीरे मुहब्बत पर।

यूं तो दरिया है इश्क तैरते भी हैं सारे,
मगर रहते हैं प्यासे कितने जजीरे मुहब्बत पर।

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Teri Chaahat Ka Mausam

तेरी चाहत का वो मौसम सुहाना याद आया है,
तेरा मुस्कुरा करके वो नजरें झुकाना याद आया है।

जो सावन की काली घटा सी छाई रहती थी,
उन जूलफों का चेहरे से हटना याद आया है।

तुझे छेड़ने की खातिर जो अक्सर गुनगुनाता था,
वो नगमा आशिकाना आज फिर याद आया है।

मेरी साँसें उलझती थी तेरे कदमों की तेजी में,
तेरा मुड़-मुड़ कर आना और जाना याद आया है।

तेरा लड़ना झगड़ना और मुझसे रूठ कर जाना,
वो तेरा रूठ कर खुद मान जाना याद आया है।

ना रस्ते हैं ना मंजिल है मिजाज भी है आवारा,
तेरे दिल में मेरे दिल का ठिकाना याद आया है।

जिसके हर लफज में लिपटी हुई थी मेरी कई रातें,
आज तेरा वो आखिरी खत हथेली पर जलाया है।

~ श्याम तनहा

Ye Lamha Ye Waqt

काश ये लम्हा ये वक़्त यूं ही गुजर जाता,
तू सामने होती और वक़्त ठहर जाता...।

हम सोचते फिरते कि किसे अपना बना ले
हमें हर चेहरे में बस तू ही नजर आता...।

सारी दुनिया से बेवफाई करके ऐ जान,
मैं तुझे वफ़ा का सबक़ सुनाता...।

लोग कहते कि पागल सा हो गया है तू,
फिर भी तेरी यादों में हर वक़्त मुस्कुराता...।

क्या करूँ बहुत मजबूर हो गया हूँ तेरी मोहब्बत में
ऐ हसरत...
अब तो ख्वाबों का हर तारा मुझे टूटा नजर आता...।

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Pyar Ka Ye Silsila

शुरू जो प्यार का ये सिलसिला नहीं होता,
ये रोग दिल को हमारे लगा नहीं होता।

मैं चाहता हूँ के एक पल को भूल जाऊं उसे,
मगर ख्याल है उनका जुदा नहीं होता।

कभी के मौत की बाँहों में सो गए होते,
हराम गर इसे मअबूत ने किया नहीं होता।

खुशी से ज़िंदगी अपनी भी काट गई होती,
वफ़ा के नाम पे धोखा अगर मिला नहीं होता।

वो कब्र पे मेरी दो अश्क ही बहा देते,
कसम खुदा की हमें फिर गिला नहीं होता।

कुछ और उनकी भी मजबूरियां रही होंगी,
यूँ ही तो कोई सनम बेवफा नहीं होता।

वो इस तरह से भुलाते ही क्यों हमें जाफर,
ख़राब गर ये मुक़द्दर मेरा नहीं होता।

-जाफर बिजनौरी

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Mohabbat Aaj Bhi Hai

हमने जो की थी मोहब्बत वो आज भी है,
तेरे जुल्फों के साये की चाहत आज भी है।

रात कटती है आज भी ख्यालों में तेरे,
दीवानों सी मेरी वो हालत आज भी है।

किसी और के तसब्बुर को उठती नहीं
बेईमान आँखों में थोड़ी सी शराफत आज भी है।

चाह के एक बार चाहे फिर छोड़ देना तू,
दिल तोड़ तुझे जाने की इजाजत आज भी है।

Zindagi Mein Dard Sab

जिंदगी में दर्द सब सहते रहे,
जो मिला था प्यार हम खोते रहे।

नफरतों के बीच नाजुक दिल मेरा,
तोड़ के वादे सभी चलते रहे।

बढ रही बेचैनियां मेरी यहाँ,
रात को तुम ख्वाब में आते रहे।

लौट आयी जिंदगी फिर से वहीं,
पेट की उस भूख से रोते रहे।

आँखों में छाया नशा है प्यार का,
इश्क में तेरे वफा मिलते रहे।

चाहतों के दरमियां इंतजार है,
भूलकर भी आज हम मिलते रहे।

रख लिया पत्थर दिलों में हमने भी,
दर्द की दास्तान को सुनते रहे।

(ओम नारायण)

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Phool Se Naazuk Honthh

इन फूल से नाजु़क होंठों से
गैरों की शिकायत ठीक नहीं,
बदनाम करें दिल वालों को ये
इनकी ये शरारत ठीक नहीं।

चंचल ये तेरे दो नैन मुझे
दिल का रोगी क्यों बनाते हैं,
तूने छेड़े हैं दिल में ख्वाब कई
तेरी इतनी नजाकत ठीक नहीं।

हर हाल में जीने मरने की
कसम उठा लेता है तू,
ऐ सुन ले मोहब्बत करने वाले
तेरी इतनी शराफत ठीक नहीं।

हर दिल को दवा मिल जाती है
और दिल को दुआ मिल जाती है,
दिल को जो कैद रखे ऐसे
चाहत की सिआसत ठीक नहीं।

अतुल सिंह मृदल