हिंदी शायरी

चमन में उदासी

इस चमन में उदासी बनी रह गयी,
तुम न आये , तुम्हारी कमी रह गयी।
हसरतों में जिया फिर भी अफ़सोस है,
जुस्तजू दुआओं की बची रह गयी।
दिल जलाने से फुर्सत कहाँ थी उसे,
शम्मा जो थी बुझी वो बुझी रह गयी।
जो मिला था बसर के लिये कम न था,
पर ज़रूरत नयी कुछ लगी रह गयी।
पत्थरों के दिलों में नमी देखिये,
जो उगी घास थी वो हरी रह गयी।
जिस नज़र की हिमायत में तुम थे सदा,
वो नज़र तो झुकी की झुकी रह गयी।
ओस के चंद कतरों से होता भी क्या,
प्यास जैसी थी वैसी ही रह गयी।

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रात भर तन्हा

जमाना सो गया और मैं जगा रातभर तन्हा
तुम्हारे गम से दिल रोता रहा रातभर तन्हा ।

मेरे हमदम तेरे आने की आहट अब नहीं मिलती
मगर नस-नस में तू गूंजती रही रातभर तन्हा ।

नहीं आया था कयामत का पहर फिर ये हुआ
इंतजारों में ही मैं मरता रहा रातभर तन्हा ।

अपनी सूरत पे लगाता रहा मैं इश्तहारे-जख्म
जिसको पढ़के चांद जलता रहा रातभर तन्हा ।

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उसकी पुरानी आदत

जब भी वो उदास हो उसे मेरी कहानी सुना देना,
मेरे हालात पर हंसना उसकी पुरानी आदत है ।

अपना मुक़द्दर अपनी लकीरें

मैं शिकवा करूँ भी तो
किस से करूँ,
अपना ही मुक़द्दर है
अपनी ही लकीरें हैं ।

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बेवफ़ा कहाँ तक है

ना पूछ मेरे सब्र की इंतेहा कहाँ तक है,
तू सितम कर ले, तेरी हसरत जहाँ तक है
वफ़ा की उम्मीद, जिन्हें होगी उन्हें होगी,
हमें तो देखना है, तू बेवफ़ा कहाँ तक है।

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प्यार की शुरुआत

इत्तेफ़ाक़ से ही सही मगर मुलाकात हो गयी,
ढूंढ रहे थे हम जिन्हें उन से बात हो गयी,
देखते ही उन को जाने कहाँ खो गए हम,
वहीं से हमारे प्यार की शुरुआत हो गयी।

अनजान ज़िन्दगी का हक़दार

नज़रें मिल जाएं तो प्यार हो जाता है,
पलकें उठ जाएं तो इज़हार हो जाता है,
ना जाने क्या कशिश है आपकी चाहत में,
कि कोई अनजान भी
हमारी ज़िन्दगी का हक़दार हो जाता है।

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प्यार जीने की वजह

कोई कहता है प्यार नशा बन जाता है,
कोई कहता है प्यार सज़ा बन जाता है,
पर प्यार करो अगर सच्चे दिल से,
तो प्यार जीने की वजह बन जाता है।