Search Results for : मनीष कुमार सिंह

तकदीर आशिक की

दर्द होता है मगर शिकवा नहीं करते,
कौन कहता है कि हम वफा नही करते,
आखिर क्युँ नहीं बदलती तकदीर “आशिक” की
क्या मुझको चाहने वाले मेरे लिए दुआ नहीं करते।

तकदीर आशिक की शायरी

दिल से इन्तेकाम

जब कभी तेरा नाम लेते हैं,
दिल से हम इन्तेकाम लेते हैं,
मेरी बरबादियों के अफसाने
मेरे यारों का नाम लेते हैं।