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Saanse Meri Na Theen

मालूम था कि मेरी साँसे मेरी न थीं कभी,
बस इक शौक था उसके साथ जीने का।

Maaloom Tha Ki Meri Saanse Meri Na Theen Kabhi,
Bas Ik Shauk Tha Uske Saath Jeene Ka.

Wo Kaise Samet Paayegi

वो कैसे समेट पायेगी खुद को,
ज़र्रे-ज़र्रे से मेरे जब निकाली जाएगी।

Wo Kaise Samet Paayegi Khud Ko,
Zarre-Zarre Se Mere Jab Nikaali Jayegi.

Wo Mera HumSafar

वो मेरा हमसफर भी था वो मेरा राहगुजर भी था,
मंजिलें ही एक न थीं, दरमियाँ ये फासला भी था।

Wo Mera HumSafar Bhi Tha Wo Mera Rahgujar Bhi Tha,
Manzilein Hi Ek Na Theen, Darmiyaan Ye Fasla Bhi Tha.

Wo Mera HumSafar शायरी

Aah Bhar Nahi Saka

महफिल से उठकर तो कब के चले गये थे वो,
फिर भी उनकी महक फैली रही देर तक।

दीदार ए हुस्न से ही मिलती थी दिल को ठंडक,
फिर भी चेहरा छुपाते रहे वो आज देर तक।

भूल जाता था जो दिल देख कर उनको धड़कना,
जाने क्यों बिना देखे ही उनको आज धड़का है देर तक।

दिल टूटने की आवाज तो दिल मे ही दबकर रही,
जाने क्यों वहाँ इक सन्नाटा फैला रहा देर तक।

जलने को तो सभी दोस्त ही मुझसे जलते रहे,
देखा जो उनका हाथ मेरे हाथ में रखा देर तक।

ना शिकवा रहा ना ही कोई शिकायत रही,
जब होती रही उनसे रात गुफ्तगू देर तक।

बारिश से कह दो कि वह फिर कभी बरसे,
आज आँसुओं ने बरसने कि ठानी है देर तक।

चोट खाकर भी आह भर नहीं सका 'विनोद'
देखा जो उनका चेहरा मुस्कुराता देर तक।