Tumse Hai Mohabbat

कोई खुशनुमां सा मौसम हो तुम,
दिल के पतझड़ का सावन हो तुम।

रहते हो यूँ ही मेरे दिल के आस पास,
दिल में दिल की खुशी का कारण हो तुम।

महक तुम्हारी बिखरी है हवाओं में,
मुझे भी महका कर बहका रहे हो तुम।

फूल सा कोमल है मेरा दिल-ए-नादान,
दिल की सरहद के निगहबान हो तुम।

अक्स तुम्हारा समाया है मुझमे इस कदर,
आईना भी देखती हूँ तो नज़र आते हो तुम।

ना जाने कौनसा रिश्ता है तेरे मेरे बीच,
मुझे पूरा करके मुझमे हम हो गए हो तुम।

रात सी फैली हैं खामोशियाँ मेरे दिल पर,
मेरी हर तन्हाई की महफ़िल हो तुम।

तुमसे ही बना है मेरी मोहब्बत का वजूद,
जो भूल कर भी न भूली जाए वो दास्ताँ हो तुम।

~अर्पणा

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