Kissa Tamaam Kar Diya

दिन को रात और सुबह को शाम कर लिया,
तेरी आशिक़ी ने किस्सा यूँ तमाम कर दिया।

पढ़ने में हाथ तंग तो हमेशा से रहा है,
उसको पढ़ने का ये नया काम सर लिया।

जीने की ख़्वाहिश लिये मरने लगे तुझ पर,
यूं हमने जीने-मरने का सब इंतजाम कर लिया।

ग़ुरूर भी रश्क़ करता था हम से इक ज़माने में,
आज रुसवाइयों ने कब्जा सरेआम कर लिया।

रौनक हुआ करते थे कभी महफिलों की हम,
तेरी जुदाई ने तन्हाई को मेरे नाम कर दिया।

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