रजनीकांत पर कटप्पा भारी

रजनीकांत और कटप्पा की मुलाकात हो जाती है।

रजनीकांत ~ मेरे गाँव में लाइट नहीं थी, मैं अगरबत्ती जलाकर उसकी रौशनी में पढ़ता था।

कटप्पा~ हमारे गाँव में तो बिजली भी नहीं थी और हमारे पास अगरबत्ती के पैसे भी नहीं थे, फिर भी मैं पढ़ा।

रजनीकांत~ कैसे ?

कटप्पा~ मेरा एक मित्र था प्रकाश, उसे पास बिठा कर पढता था। एक दिन प्रकाश भीग गया वो नहीं आया फिर भी मैं पढ़ा ।

रजनीकांत ~ कैसे?

कटप्पा~ गाँव में ज्योति नाम की लड़की भी तो थी । उसके पास बैठ कर।

रजनीकांत बेहोश...

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