Bahut Din Baad Muskuraye

बहुत दिन बाद शायद हम मुस्कुराये होंगे,
वो भी अपने हुस्न पर खूब इतराये होंगे।

संभलते-संभलते अब तक ना संभले हम,
सोचो किस तरह उनसे हम टकराये होंगे।

महक कोई आई है आँगन में कहीं से उड़कर
शायद उन्होंने गेसू अपने हवा में लहराये होंगे।

पीछे से तपाक से भर लिया बाँहों में उन्हें,
वस्ल के वक्त वो बहुत घबराये होंगे।

जब एक-दूसरे से बिछड़े होंगे वो दो पंछी
बहुत कतराते कतराते पंख उन्होंने फहराये होंगे।

जानते हो क्या इस ख़ुश-रू शख्स को,
पहचान कर भी कहना पड़ा नहीं वो कोई पराये होंगे।

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