Gam Ka Samndar

हुस्न खो जायेगा प्यार मिट जायेगा,
वक़्त के हाथ सबकुछ लुट जायेगा,
हाँ रहेगी मगर याद मेरे दिल में तेरी,
ग़म का समंदर तो सिमट जायेगा।

मैं भला क्यूँ अब उसकी तमन्ना करूँ,
मेरा हो के भी जब वो मेरा न हुआ,
है यकीन आएगा एक दिन ऐसा भी,
मेरे मरने पे मुझसे वो लिपट जायेगा।

तेरे संग की थी जो बहारों की बातें,
याद हैं मुझको वो चाँद तारों की बातें,
रह गए अब तो तनहा, बेबस, अकेले,
ज़िन्दगी का सफ़र यूं ही कट जायेगा।

Gam Ka Samndar Shayari

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