Wo Chirag Jo Raat Bhar

वो चराग़ जो रात भर सफ़र में होगा,
नहीं सोचता क्या उसका सहर में होगा।

अज़ब चुप सी लगी है तमाम चेहरों पे,
न जाने कौन सा हादसा अब शहर में होगा।

परिंदे को चहकने में अभी वक़्त लगेगा,
कफ़स तो टूट गया है अभी वो डर में होगा।

मेरे घर का हर कोना जवाब माँगता है,
इस दफा इम्तिहान तेरे घर में होगा।

यूँ ही नहीं वो जिगर के पार उतर गया,
कुछ तो इज़्तराब उस खंज़र में होगा।

देखना सुरंग के उस पार फिर पहुँच जायेगा,
इक क़तरा रौशनी का फिर नज़र में होगा।

~ राकेश कुशवाहा

-Advertisement-
-Advertisement-