शयरी इश्क़ की राहें तो

सोचने बैठे थे सुबह, देखते ही देखते शाम हो गयी,
इश्क़ की राहें तो ऐ दोस्त यूँ ही बदनाम हो गयीं.

दिल लगा लिया तो गुनाह समझने लगे,
टूट गए जो प्यार को खुदा की पनाह समझने लगे,
मोहब्बत न हुयी, मौत का फरमान हो गयीं,
इश्क़ की राहें तो ऐ दोस्त यूँ ही बदनाम हो गयीं.

खूब सूरत सा लफ्ज था प्यार, बेशर्मी बना दिया,
सात फेरों के सिलसिले को भी फर्जी बता दिया,
रीति-रिवाज और परंपराएं खुल-ए-आम नीलाम हो गयीं,
इश्क़ की राहें तो ऐ दोस्त यूँ ही बदनाम हो गयीं.

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