Search Results for : दीपक

बिछड़ कर फिर मिले

बिछड़ कर फिर मिले जो हाल पूछेंगे,
मिरे बिन कैसे गुज़रे साल पूछेंगे।

नहीं मुझ सा कोई आशिक़ ज़माने में,
मुझे मालूम है फ़िलहाल पूछेंगे।

अदालत में है ये पेशा वकीलों का,
सवालों से ही हाल-ओ-चाल पूछेंगे।

यही रस्ता अगर संसद भवन का है,
चलाएं कब- तलक हड़ताल पूछेंगे।

बेवफ़ा न कह उसको

वो खुश है बिछड़ कर मुझसे,
ऐ दुनिया बेवफ़ा न कह उसको।

Wo Khush Hai Bichhad Kar Mujhse,
Ai Duniya Bewafa Na Keh Usko.

बेवफ़ा न कह उसको शायरी

कहानियों का सिलसिला बस

कहानियों का सिलसिला बस यूं ही चलता रहा,
रहा मैं वक़्त के भरोसे और वक़्त बदलता रहा,
सूरज की तरह तेज मुझमें मगर मैं ढलता रहा,
अंधेरा हर तरफ और मैं दीपक की तरह जलता रहा।

~नवनीत चौबे

Aankhon Mein Mohabbat Ki Chamak

मेरी आँखों में मोहब्बत की चमक आज भी है,
फिर भी मेरे प्यार पर उसको शक आज भी है,
नाव में बैठ कर धोये थे उसने हाथ कभी,
पानी में उसकी मेहँदी की महक आज भी है।

Meri Aankhon Mein Mohabbat Ki Chamak Aaj Bhi Hai,
Fir Bhi Mere Pyar Par Usko Shak Aaj Bhi Hai,
Naav Mein Baith Kar Dhoye The Usne Haath Kabi,
Paani Mein Uski Mehandi Ki Mahek Aaj Bhi Hai.

Aankhon Mein Mohabbat Ki Chamak शायरी

Hum Bhi Kabhi Insaan The

एक दिन निकला सैर को मेरे दिल में कुछ अरमान थे,
एक तरफ थी झाड़ियाँ... एक तरफ श्मशान थे,
पैर तले इक हड्डी आई उसके भी यही बयान थे,
चलने वाले संभल कर चलना हम भी कभी इंसान थे।

Ek Din Nikla Sair Ko Mere Dil Mein Kuchh Aramaan The,
Ek Taraf Thi Jhaadiyaan... Ek Taraf Shamshaan The,
Pair Tale Ik Haddi Aai Uske Bhi Yehi Bayaan The,
Chalne Wale Sambhal Kar Chalna Hum Bhi Kabhi Insaan The.