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Hakeeqat Bhi Yahin Hai
हकीक़त भी यहीं है और है फ़साना भी,
मुश्किल है किसी का साथ निभाना भी।
यूँ ही नहीं कुछ रिश्ते पाक होते हैं,
पल में रूठ जाना भी पल में मान जाना भी।
लिहाज़ नहीं दिखता की हो बेग़ैरत तुम,
लाज़िम है किसी एक वक़्त में शरमाना भी।
मोहब्बत हो शहर में इश्क़ हर दिल में हो,
जरूरी है दीवानी भी जरूरी है दीवाना भी।
जरा सा सोच-समझ के करना बातें आपस में,
होने लगे हैं आजकल के बच्चे सयाना भी।
झूठ और सच बता सकता हूँ तेरे चेहरे से,
आया अब तक नहीं एक राज़ छुपाना भी।
- प्रभाकर "प्रभू"
Manine Galti To Nahi Ki
मैंने गलती तो नहीं की बता कर तुझको,
मेरे दिल के हालात दिखा कर तुझको।
मैं भूखा ही रहा कल रात पर खुश था,
अपने हिस्से का खाना खिला कर तुझको।
दुनिया की बातों पे ग़ौर ना करना कभी,
मुझसे दूर कर देगा वो बहला कर तुझको।
मेरा दिल टूटेगा तो संभल जाऊँगा मैं,
उसका टूटा तो जायेगा सुना कर तुझको।
कोई है जो तुम्हें याद करता है बहुत,
रातभर जागता है वो सुला कर तुझको।
सोचो तो ज़रा कितनी सच्चाई है उसमें,
गया भी वो तो सच सिखा कर तुझको।
©प्रभाकर "प्रभू"