Search Results for : फैज़ अहमद
ख्वाब मैंने अधूरा देखा है
बड़ी मुद्दत के बाद मैंने उसे देखा है,
वही अंदाज, उसी तेवर के साथ देखा है,
सोचा करीब जाकर सीने से लगा लूँ,
पर ख्वाब मैंने आज भी अधूरा देखा है।
बड़ी मुद्दत के बाद मैंने उसे देखा है,
वही अंदाज, उसी तेवर के साथ देखा है,
सोचा करीब जाकर सीने से लगा लूँ,
पर ख्वाब मैंने आज भी अधूरा देखा है।