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Zakhm Bhar Gaye

भर गए हैं अब वो ज़ख्म,
जो तूने कभी दिए थे,
लेकिन हैं याद अभी भी वो वादे,
जो तूने कभी किये थे.

वक़्त गुजर गया लम्हे गुजर गए,
हम चुपचाप ये ख़ामोशी सह गए,
तुम कहाँ से कहाँ,
और हम वहीं रह गए.

रह गए तेरे वादों के दरमियाँ,
और ज़िन्दगी यूँ ही गुजरती रही,
जश्न-ए-ख़ामोशी में,
हर रात सुलगती रही.

सुलग गए मेरे अरमान भी,
जूनून-ए-मोहब्बत में कभी किये थे,
भर गए हैं अब वो ज़ख्म,
जो तूने कभी दिए थे.

Rishton Mein Nikhaar

रिश्तों में निखार सिर्फ
हाथ मिलाने से नहीं आता,
विपरीत हालातों में हाथ
थामे रहने से आता है।

Rishton Mein Nikhaar Sirf
Haath Milaane Se Nahin Aata,
Vipreet Halaaton Mein Haath
Thaame Rehne Se Aata Hai.

Aukat Ki Baat

Aukat Ki Baat Mat Kar Pagli,
Hum Jis Gali Mein Pair Rakhte Hain,
Wahan Ki Ladkiyan Aksar Kahti Hain,
Baharon Phool Barsaao Mere Mahboob Aaya Hai.

औकात की बात मत कर पगली...
हम जिस गली में पैर रखते हैं,
वहाँ की लड़कियां अक्सर कहती हैं,
बहारो फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है।