आ जाओ किसी रोज
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आ जाओ किसी रोज तुम्हारी रूह मे उतर जाऊँ,
साथ रहूँ मैं तुम्हारे ना किसी और को नज़र आऊँ,
चाहकर भी मुझे छू ना सके कोई इस तरह,
तुम कहो तो यूँ तुम्हारी बाहों में बिखर जाऊँ।
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आ जाओ किसी रोज तुम्हारी रूह मे उतर जाऊँ,
साथ रहूँ मैं तुम्हारे ना किसी और को नज़र आऊँ,
चाहकर भी मुझे छू ना सके कोई इस तरह,
तुम कहो तो यूँ तुम्हारी बाहों में बिखर जाऊँ।