हिंदी में दर्द शायरी
इश्क़ की अलामत...
हमारी क़ब्र पर कभी चराग़ जला देना,
ज़िन्दगी में अंधेरा भी तुम्हारी ही रहमत है,
हर अश्क़ बयां करता है बेरुखी तेरी,
हर ज़ख्म-ए-दिल, तेरे इश्क़ की अलामत है।
~गुलाम अली बकई
दर्द के मिलने से...
दर्द के मिलने से ऐ यार बुरा क्यों माना,
उसको कुछ और सिवा दीद के मंज़ूर न था।
ज़ख्म भर गए...
भर गए हैं अब वो ज़ख्म,
जो तूने कभी दिए थे,
लेकिन हैं याद अभी भी वो वादे,
जो तूने कभी किये थे.
वक़्त गुजर गया लम्हे गुजर गए,
हम चुपचाप ये ख़ामोशी सह गए,
तुम कहाँ से कहाँ,
और हम वहीं रह गए.
रह गए तेरे वादों के दरमियाँ,
और ज़िन्दगी यूँ ही गुजरती रही,
जश्न-ए-ख़ामोशी में,
हर रात सुलगती रही.
सुलग गए मेरे अरमान भी,
जूनून-ए-मोहब्बत में कभी किये थे,
भर गए हैं अब वो ज़ख्म,
जो तूने कभी दिए थे.
दर्द यहाँ मिलता है...
हौंसला मत हार, गिरकर ऐ मुसाफिर..!
अगर दर्द यहाँ मिलता है तो, दवा भी यहीं मिलेगी..!!
तेरा हाथ छूटना...
इतना गुरूर जो था, मुझे अपने प्यार पर,
वो टूटना भी जरूरी था,
कुछ ज्यादा ही प्यार से, जो थामा तेरा हाथ,
वो छूटना भी जरूरी था।