Mirza Ghalib Shayari
Gunaah Karke Kahaan Jaaoge...
गुनाह करके कहाँ जाओगे गालिब,
ये जमीन और आसमान सब उसी का है।
Gunaah Karke Kahaan Jaaoge Galib,
Ye Zamin Aur Aasmaan Sab Usee Ka Hai.
Phir Na Intezaar Mein...
ता फिर न इंतज़ार में नींद आये उम्र भर,
आने का अहद कर गये आये जो ख्वाब में।
Ta Phir Na Intezaar Mein Neend Aaye Umr Bhar,
Aane Ka Ahad Kar Gaye Aaye Jo Khwaab Mein.
ग़ालिब की उर्दू शायरी तुम न आए...
तुम न आए तो क्या सहर न हुई,
हाँ मगर चैन से बसर न हुई,
मेरा नाला सुना ज़माने ने,
एक तुम हो जिसे ख़बर न हुई।
--------------------------------------
बूए-गुल, नाला-ए-दिल, दूदे चिराग़े महफ़िल,
जो तेरी बज़्म से निकला सो परीशाँ निकला।
चन्द तसवीरें-बुताँ चन्द हसीनों के ख़ुतूत,
बाद मरने के मेरे घर से यह सामाँ निकला।
--------------------------------------
हासिल से हाथ धो बैठ ऐ आरज़ू-ख़िरामी,
दिल जोश-ए-गिर्या में है डूबी हुई असामी,
उस शम्अ की तरह से जिस को कोई बुझा दे,
मैं भी जले-हुओं में हूँ दाग़-ए-ना-तमामी।
सहर = सुबह, बसर = गुजरना, नाला = शिकवा
ग़ालिब की हिंदी उर्दू शायरी...
इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना,
दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना।
--------------------------------------
उग रहा है दर-ओ-दीवार से सबज़ा ग़ालिब,
हम बयाबां में हैं और घर में बहार आई है।
--------------------------------------
घर में था क्या कि तेरा ग़म उसे ग़ारत करता,
वो जो रखते थे हम इक हसरत-ए-तामीर सो है।
--------------------------------------
ज़िंदगी अपनी जब इस शक्ल से गुज़री,
हम भी क्या याद करेंगे कि ख़ुदा रखते थे।
--------------------------------------
ता हम को शिकायत की भी बाक़ी न रहे जा,
सुन लेते हैं गो ज़िक्र हमारा नहीं करते।
--------------------------------------
ग़ालिब तिरा अहवाल सुना देंगे हम उन को,
वो सुन के बुला लें ये इजारा नहीं करते।
--------------------------------------
मुँद गईं खोलते ही खोलते आँखें ग़ालिब,
यार लाए मेरी बालीं पे उसे पर किस वक़्त।
--------------------------------------
लो हम मरीज़-ए-इश्क़ के बीमार-दार हैं,
अच्छा अगर न हो तो मसीहा का क्या इलाज।
दर्द देकर खुद सवाल मिर्ज़ा ग़ालिब...
दर्द देकर खुद सवाल करते हो,
तुम भी गालिब, कमाल करते हो;
देख कर पुछ लिया हाल मेरा,
चलो इतना तो ख्याल करते हो;
शहर-ए-दिल मेँ उदासियाँ कैसी,
ये भी मुझसे सवाल करते हो;
मरना चाहे तो मर नही सकते,
तुम भी जीना मुहाल करते हो;
अब किस-किस की मिसाल दूँ तुमको,
तुम हर सितम बेमिसाल करते हो।