( आर्यन वर्मा द्वारा दिनाँक 13-06-2016 को प्रस्तुत )
वो राम की खिचड़ी भी खाता है,रहीम की खीर भी खाता है,वो भूखा है जनाब उसे,कहाँ मजहब समझ आता है।