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अपनी दास्ताँ सुनाते हैं
चलो आज शायरी की हवा बहाते हैं,
तुम उठा लाओ मीर ग़ालिब की नज़्में,
और हम अपनी दास्ताँ सुनाते हैं।
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चलो आज शायरी की हवा बहाते हैं,
तुम उठा लाओ मीर ग़ालिब की नज़्में,
और हम अपनी दास्ताँ सुनाते हैं।