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शायरी से इस्तीफ़ा
शायरी से इस्तीफ़ा दे रहा हूँ साहब,
जब दर्द हमको सहना है...
तो उसका तमाशा क्यों बनाना।
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शायरी से इस्तीफ़ा दे रहा हूँ साहब,
जब दर्द हमको सहना है...
तो उसका तमाशा क्यों बनाना।