दिल में समा गई हैं क़यामत की शोख़ियाँ,दो-चार दिन रहा था किसी की निगाह में।Share :WhatsappfacebooktwitterCopy
दिल में समा गई हैं क़यामत की शोख़ियाँ,दो-चार दिन रहा था किसी की निगाह में।