- Home
- Sad Shayari
- गुमनामी का अँधेरा
गुमनामी का अँधेरा
गुमनामी का अँधेरा कुछ इस तरह छा गया है,
कि दास्ताँ बन के जीना भी हमें रास आ गया है।
-Advertisement-
-Advertisement-
गुमनामी का अँधेरा कुछ इस तरह छा गया है,
कि दास्ताँ बन के जीना भी हमें रास आ गया है।