बदन में आग सी

बदन में आग सी है चेहरा गुलाब जैसा है,
कि ज़हर-ए-ग़म का नशा भी शराब जैसा है,
इसे कभी कोई देखे कोई पढ़े तो सही,
दिल आइना है तो चेहरा किताब जैसा है।

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