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दर्द कैसा भी उठे
अहमद फ़राज़ज़िक्र उस का ही सही बज़्म में बैठे हो फ़राज़,
दर्द कैसा भी उठे हाथ न दिल पर रखना।
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अहमद फ़राज़ज़िक्र उस का ही सही बज़्म में बैठे हो फ़राज़,
दर्द कैसा भी उठे हाथ न दिल पर रखना।