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Nigaah-e-Ishq
Naqaab Kya Chhupayega
Shabab-e-Husn Ko,
Nigaah-e-Ishq To
Patthar Bhi Cheer Deti Hai !
नक़ाब क्या छुपाएगा
शबाब-ए-हुस्न को,
निगाह-ए-इश्क तो
पत्थर भी चीर देती है ।
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Naqaab Kya Chhupayega
Shabab-e-Husn Ko,
Nigaah-e-Ishq To
Patthar Bhi Cheer Deti Hai !
नक़ाब क्या छुपाएगा
शबाब-ए-हुस्न को,
निगाह-ए-इश्क तो
पत्थर भी चीर देती है ।