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Nadiya Hai Majboori Ki
एक नदिया है मजबूरी की
उस पार हो तुम इस पार हैं हम,
अब पार उतरना है मुश्किल
मुझे बेकल बेबस रहने दो।
कभी प्यार था अपना दीवाना सा
झिझक भी थी एक अदा भी थी,
सब गुजर गया एक मौसम सा
अब याद का पतझड़ रहने दो।
तुम भूल गए क्या गिला करें
तुम, तुम जैसे थे हम जैसे नहीं,
कुछ अश्क़ बहेंगे याद में बस
अब दर्द का सावन रहने दो।
विशाल बाबूतेरे सुर्ख लबों के रंग से फिर
मुझे बिखरे ख्वाब संजोने दो,
मैं हूँ प्यार का मारा बेचारा
मुझे बेकस बेखुद रहने दो।
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