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Samandar Na Dubo Paya
गर्दिश मे बसर कर ली ज़िन्दगी
उन चमकते सितारों की जरूरत नहीं है,
खुद ही गिरते और खुद ही संभलते हैं
अब किसी के सहारों की जरूरत नहीं है,
नदी हो दरिया हो या हो भंवर भी,
छू भी न पाये ऊँची लहरों की हलचल
समंदर भी न डुबो पाया मेरी कश्ती को
मुझे किसी किनारे की जरूरत नहीं है।
~प्रवीण कुमार पांडेय
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