ताऊ और कुत्ता

दोपहर को ताऊ बरामदे में बैठा था कि तभी एक बढ़िया नस्ल का हष्ट पुष्ट लेकिन बेहद थका थका सा कुत्ता कम्पाउंड में दाखिल हुआ। गले में पट्टा भी था। ताऊ ने सोचा जरूर किसी अच्छे घर का पालतू कुत्ता है। तो ताऊ ने पुचकारा तो वह पास आ गया। ताऊ ने उसपर प्यार से हाँथ फिराया तो वो पूँछ हिलाता वहीं बैठ गया । बाद में ताऊ जब उठकर अंदर गया तो वह कुत्ता भी ताऊ के पीछे पीछे हॉल में चला आया और खिड़की के पास अपने पैर फैलाकर बैठा और ताऊ के देखते देखते सो गया । ताऊ भी हॉल का द्वार बंद किया और सोफे पर आ बैठा।

करीब एक घंटे सोने के बाद कुत्ता उठा और द्वार की तरफ गया तो उठकर ताऊ ने द्वार खोल दिया। वो बाहर निकला और चला गया । ताऊ ने सोचा जरूर अपने घर चला गया होगा । अगले दिन उसी समय वो फिर आ गया। खिड़की के नीचे एक घंटा सोया और फिर चला गया।

उसके बाद वो रोज आने लगा। आता, सोता और फिर चला जाता। कई दिन गुजर गए तो ताऊ के मन में उत्सुकता जागी कि आखिर किसका कुत्ता है ये?

एक रोज ताऊ ने उसके पट्टे में एक चिठ्ठी बाँध दी जिसमें लिख दिया---
"आपका कुत्ता रोज मेरे घर आकर सोता है। ये आपको मालूम है क्या ? "
अगले दिन रोज के समय पर कुत्ता आया तो ताऊ ने देखा कि उसके पट्टे में एक चिठ्ठी बँधी है। उसे निकालकर ताऊ ने पढ़ा।

उसमे लिखा था---
"वो एक अच्छे घर का कुत्ता है, मेरे साथ ही रहता है लेकिन मेरी बीवी की दिनरात की किटकिट, पिटपिट, चिकचिक, बड़बड़ के कारण वो, थोड़ी बहुत तो नींद हो जाए, ये सोचकर रोज आपके पास चला आता है। कल से मैं भी उसके साथ आने लगूँ क्या? कृपया पट्टे में चिठ्ठी बाँधकर आपकी सहमति की सूचना देने का कष्ट करें !! "

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