Kabhi Akele Mein Milkar
कभी अकेले में मिलकर झंझोड़ दूंगा उसे,
जहाँ जहाँ से वो टूटा है जोड़ दूंगा उसे।
मुझे छोड़ गया ये कमाल है उसका,
इरादा मैंने किया था कि छोड़ दूंगा उसे।
पसीने बांटता फिरता है हर तरफ सूरज,
कभी जो हाथ लगा तो निचोड़ दूंगा उसे।
मज़ा चखा के ही माना हूँ मैं भी दुनिया को,
समझ रही थी कि ऐसे ही छोड़ दूंगा उसे।
-Advertisement-