Mere Paas Na Aaye Koi

ये जो है हुक्म मेरे पास न आये कोई,
इसलिए रूठ रहे हैं कि मनाये कोई।

ताक में है निगाह-ए-शौक खुदा खैर करे,
सामने से मेरे बचता हुआ जाए कोई।

हाल अफ़लाक-ओ-ज़मीन का जो बताया भी तो क्या,
बात वो है जो तेरे दिल की बताये कोई।

आपने दाग़ को मुँह भी न लगाया अफसोस,
उसको रखता था कलेजे से लगाये कोई।

हो चुका ऐश का जलसा तो मुझे ख़त भेजा,
आप की तरह से मेहमान बुलाये कोई।

-Advertisement-
-Advertisement-