Dard-e-Dil Ki Dawa

अब मेरे दर्द-ए-दिल की दवा तू न कर,
हर दवा तेरी यूँ ही बिखर जाएगी,
दिल के ज़ख्मों पे तू कोई मरहम न कर,
ये अदा तेरी दिल में उतर जाएगी,
आशियाना है ग़म-ए-ज़िन्दगी का मेरी,
दूर होते ही उल्फ़त बिखर जाएगी।
~ बलराम सिंह

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