मेरा जी नहीं लगता

नज़र नवाज़ नजारों में जी नहीं लगता,
फ़िज़ा गई तो बहारों में जी नहीं लगता,
न पूछ मुझसे तेरे ग़म में क्या गुजरती है,
यही कहूंगा हजारों में जी नहीं लगता।

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