दर्द देकर खुद सवाल मिर्ज़ा ग़ालिब

दर्द देकर खुद सवाल करते हो,
तुम भी गालिब, कमाल करते हो;

देख कर पुछ लिया हाल मेरा,
चलो इतना तो ख्याल करते हो;

शहर-ए-दिल मेँ उदासियाँ कैसी,
ये भी मुझसे सवाल करते हो;

मरना चाहे तो मर नही सकते,
तुम भी जीना मुहाल करते हो;

अब किस-किस की मिसाल दूँ तुमको,
तुम हर सितम बेमिसाल करते हो।

-Advertisement-
-Advertisement-