इतना गुरुर शायरी

मेरा वक़्त बोला मेरी हालत को देख कर,
मैं तो गुजर रहा हूँ तू भी गुजर क्यों नहीं जाता।
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जागना भी कबूल हैं तेरी यादों में रात भर,
तेरे एहसासों में जो सुकून है वो नींद में कहाँ ।
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इतना ही गुरुर है तो मुकाबला इश्क से कर ऐ बेवफा,
हुस्न पर क्या इतराना जो मेहमान है कुछ दिन का।

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