कोई नया जख्म हिंदी शायरी

कितनी जल्दी दूर चले जाते है वो लोग,
जिन्हें हम जिंदगी समझ कर कभी खोना नहीं चाहते।
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आज कोई नया जख्म नहीं दिया उसने मुझे,
कोई पता करो वो ठीक तो है ना।
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कहाँ नहीं तेरी यादों के कांटे,
कहाँ तक कोई दामन बचा के चले।
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दम तोड़ जाती है हर शिकायत लबों पे आकर,
जब मासूमियत से वो कहती है मैंने क्या किया है?
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उसके सिवा किसी और को चाहना मेरे बस में नहीं,
ये दिल उसका है, अपना होता तो बात और थी।
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उस दिल की बस्ती में आज अजीब सा सन्नाटा हैं ,
जिस में कभी तेरी हर बात पर महफ़िल सज़ा करती थी।
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तेरा नज़रिया मेरे नज़रिये से अलग था,
शायद तुझे वक्त, गुज़ारना था और मुझे जिन्दगी।
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डरता हूँ कहने से की मोहब्बत है तुम से,
कि मेरी जिंदगी बदल देगा तेरा इकरार भी और इनकार भी।
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सलीक़ा हो अगर भीगी हुई आँखों को पढने का,
तो फिर बहते हुए आंसू भी अक्सर बात करते हैं।
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ये भी एक तमाशा है इश्क ओ मोहब्बत में,
दिल किसी का होता है और बस किसी का चलता है।

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