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Wo Raahein Yaad Aati Hain
वो गलियाँ वो चौबारा अब वो राहें याद आती हैं,
सोये थे जिन बाहों में हमें वो बाहें याद आती हैं।
वो जब अपने शहर में पहली दफा ही मुझको देखी थी,
फिर जो मिलाई थी उसने वो निगाहें याद आती हैं।
~ गौतम गोरखपुरी
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