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Zindagi Tu Beparwaah Si
ज़िन्दगी तू तो बेपरवाह सी चली जाती है
मुड़ के देख तो सही,
कितने जख्मो के निशां अभी बाकी है।
बिछड़ना यार का जो दे गया,
उस दर्द की तौबा।
अधूरी आस, एक एहसास,
वो वस्ल-ए-यार बाकी है।
बड़ी शिद्दत से पाया था जिसे
वो आशना मेरा।
फ़कत अभी हाथ थामा था,
बना वो हमसफ़र मेरा।
थे गुजरे साथ पल दो पल,
चले थे दो कदम ही बस।
अभी तो साथ चलना है,
कि मंज़िल दूर काफी है।
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