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Chalte Rahe Akele
हम रहे ख़ामोशी से उनके साथ और,
वो महफ़िल में तन्हा-तन्हा चिल्ला रहे थे।
उनकी हर बात का इल्म था हमें और,
वो हमीं से सब छुपा रहे थे।
ऐतराज़ था उन्हें हमारी सारी बातों से,
फ़िर भी हम साथ निभा रहे थे।
चलते रहे अकेले इन राहो में हम और,
वो खुद को हमसफ़र बता रहे थे।
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