जख्मों की कमी नहीं

दिल-ए-तबाह को ज़ख़्मों की
कुछ कमी तो नहीं,
मगर है दिल की तमन्ना कि
तुम फिर से वार करो।

Dil-e-Tabaah Ko Zakhmon Ki
Kuchh Kami To Nahi,
Magar Hai Dil Ki Tamanna Ke
Tum Fir Se Waar Karo.

जख्मों की कमी नहीं Shayari

-Advertisement-
-Advertisement-