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चिरागों की अहमियत
जरूरत हो तभी जलाओ अपने आप को,
उजालों में चिरागों की अहमियत नहीं होती।
जो कुछ भी हूँ पर यार गुनहगार नहीं हूँ,
दहलीज हूँ... दरवाजा हूँ... दीवार नहीं हूँ।
आज तलाशने पे भी नहीं मिलते,
कल तलक़ कुछ लोग जो बेहद क़रीब थे।
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