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बेवफा शायरी
Naseeb Mein Bewafa
Kaun Si Syaahi Aur
Kaun Si Kalam Se Likta Hoga,
Jab Khuda Kisi Ke Naseeb Mein
Ek Bewafa Likhta Hoga.
कौन सी स्याही और
कौन सी कलम से लिखता
होगा...
जब वो किसी के नसीब
में एक बेवफा लिखता
होगा।
Wo Bewafa Huye
Aag Dil Mein Lagi Jab Wo Khafa Ho Gaye,
Mahsoos Hua Tab Jab Wo Juda Ho Gaye,
Kar Ke Wafa Kuchh De Na Sake Wo Humein,
Par Bahut Kuchh De Gaye Jab Bewafa Huye.
आग दिल में लगी जब वो खफ़ा हो गए,
महसूस हुआ तब जब वो जुदा हो गए,
कर के वफ़ा कुछ दे ना सके वो हमें,
पर बहुत कुछ दे गए जब बेवफ़ा हो गए ।
Kuchh Majboori Kuchh Bewafai.
Raat Ki Gahrayi Aankhon Mein Utar Aayi,
Kuchh Khwaab The Aur Kuchh Meri Tanhai,
Ye Jo Palkon Se Bah Rahe Hain Halke-Halke,
Kuchh Toh Majboori Hai Kuchh Teri Bewafai.
रात की गहराई आँखों में उतर आई,
कुछ ख्वाब थे और कुछ मेरी तन्हाई,
ये जो पलकों से बह रहे हैं हल्के हल्के,
कुछ तो मजबूरी थी कुछ तेरी बेवफाई।
Aur Wo Kafir
Subakti Rahi Raat Akeli
Tanhayion Ke Aagosh Mein,
Aur Wo Kafir Din Se Mohabbat Karke
Uska Ho Gaya.
सुबकती रही रात अकेली
तनहाइयों के आगोश़ में,
और वो काफिऱ दिन से मोहब्बत करके
उसका हो गया।
बेवफ़ा कहाँ तक है
ना पूछ मेरे सब्र की इंतेहा कहाँ तक है,
तू सितम कर ले, तेरी हसरत जहाँ तक है
वफ़ा की उम्मीद, जिन्हें होगी उन्हें होगी,
हमें तो देखना है, तू बेवफ़ा कहाँ तक है।
वफ़ा की तलाश में
इंसान के कंधों पर इंसान जा रहा था,
कफ़न में लिपटा अरमान जा रहा था,
जिसे भी मिली बे-वफ़ाई मोहब्बत में,
वफ़ा की तलाश में श्मशान जा रहा था।
बेवफा के नाम से बदनाम
वफ़ा के नाम से मेरे सनम अनजान थे,
किसी की बेवफाई से शायद परेशान थे,
हमने वफ़ा देनी चाही तो पता चला...
हम खुद बेवफा के नाम से बदनाम थे।
बेवफा ना कह सका
कैसी अजीब तुझसे यह जुदाई थी,
कि तुझे अलविदा भी ना कह सका,
तेरी सादगी में इतना फरेब था,
कि तुझे बेवफा भी ना कह सका।