Deshbhakti Shayari
Nafratein Aam Sahi...
नफरतें आम सही प्यार बढ़ा कर देखो,
इस अँधेरे में कोई शम्मा जलाकर देखो।
इस भटकती हुई दुनिया को मिलेगी मंज़िल,
मेरी आवाज़ में आवाज़ मिलाकर देखो।
ख्वाब-ए-आज़ादी को ताबीर भी मिल जाएगी,
मेरा फरमान-ए -मोहब्बत तो सुनाकर देखो।
ऐ गरीबों के मकानों को जलाने वालों,
शीशमहलों को हवा में उड़ाकर देखो।
सख्त बेरहम है ज़रदार ऐ बिकने वालो,
बेज़मीरी का जरा पर्दा हटाकर देखो।
रेख्ता हिन्दू-मुसलमान हैं भाई-भाई,
फिर वो ही भूला हुआ नारा लगाकर देखो।
~रेख्ता पटौल्वी
Jashn Aazadi Ka Mubaarak...
जश्न आज़ादी का मुबारक हो देश वालों को,
फंदे से मोहब्बत थी वतन के मतवालो को।
Jashn Aazadi Ka Mubaarak Ho Desh Walon Ko,
Fande Se Mohabbat Thi Watan Ke Matawalo Ko.
Humaara Pyara Hindustaan...
बच्चे-बचे के दिल में कोई अरमान निकलेगा
किसी के रहीम तो किसी के राम निकलेगा,
मगर उनके दिल को झाँक के देखा जाए,
तो उसमें हमारा प्यारा हिंदुस्तान निकलेगा।
Bachche-Bacheche Ke Dil Mein Koi Aramaan Niklega
Kisi Ke Raheem To Kisi Ke Raam Niklega,
Magar Unke Dil Ko Jhaank Ke Dekha Jaye,
To Usmein Humaara Pyara Hindustaan Niklega.
Darindo Ka Mazhab Nahin Hota...
कोई मंदिर कोई मस्जिद और कोई रब नहीं होता,
दरिंदो का अपना कोई मज़हब नहीं होता,
तबाही करने वालों का मज़हब सिर्फ तबाही है,
लहू किसका बहा उन्हें कोई मतलब नहीं होता।
Koi Mandir Koi Masjid Aur Koi Rab Nahin Hota,
Darindo Ka Apna Koi Mazhab Nahin Hota,
Tabaahi Karne Walon Ka Mazhab Sirf Tabaahi Hai,
Lahoo Kiska Baha Unhein Koi Matalab Nahin Hota.
Wo Mulk Kabhi Tarakki...
जहाँ पक्षपात के फैले जाल होते हैं,
वहाँ हुनरमंदों के सपने बेहाल होते हैं,
वो मुल्क़ कभी तरक्की नहीं कर सकता,
जहाँ के वज़ीर ही दलाल होते हैं।
Jahaan Pakshpaat Ke Faile Jaal Hote Hain,
Wahaan Hunaramandon Ke Sapne Behaal Hote Hain,
Wo Mulk Kabhi Tarakki Nahin Kar Sakta,
Jahaan Ke Wazeer Hi Dalaal Hote Hain.