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Akbar Allahabadi Shayari
Jara Soch Lo Ye Baat
अकबर इलाहाबादीजिस बात को मुफीद समझते हो खुद करो,
औरों पे उसका बार न इसरार से धरो,
हालात मुख्तलिफ हैं, जरा सोच लो यह बात,
दुश्मन तो चाहते हैं कि आपस में लड़ मरो।
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Ye Dilbari Ye Naaz
अकबर इलाहाबादीये दिलबरी, ये नाज़, ये अंदाज़, ये जमाल,
इंसान करे अगर न तेरी चाह... क्या करे।
Ye Dilbari, Ye Naaz, Ye Andaaz, Ye Jamaal,
Insaan Kare Agar Na Teri Chaah... Kya Kare.
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